उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि “स्मार्ट गांव ही आत्मनिर्भर और विकसित भारत की असली नींव हैं।” उन्होंने यह बात मंगलवार को लखनऊ में आयोजित ग्राम विकास सम्मेलन में कही। मौर्य ने कहा कि जब तक गांव तकनीकी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के स्तर पर आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तब तक भारत का संपूर्ण विकास अधूरा रहेगा।
गांवों को बनाना होगा टेक-सक्षम
मौर्य ने कहा, “आज जब भारत डिजिटल युग में प्रवेश कर चुका है, तब गांवों को भी स्मार्ट बनाना अनिवार्य हो गया है। हर गांव में इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्ट क्लासेस, स्वास्थ्य सेवाएं और ई-गवर्नेंस की व्यवस्था होनी चाहिए।”
उन्होंने बताया कि सरकार पहले ही कई योजनाओं के माध्यम से गांवों में सड़क, बिजली, पानी और आवास जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुँचा चुकी है। अब अगला लक्ष्य उन्हें डिजिटल, आत्मनिर्भर और पर्यावरण-संवेदनशील बनाना है।
स्थानीय रोजगार और महिला सशक्तिकरण पर ज़ोर
मौर्य ने कहा कि स्मार्ट गांव केवल टेक्नोलॉजी से नहीं, बल्कि स्थानीय संसाधनों के सही उपयोग और मानव संसाधन विकास से बनेंगे। इसके लिए सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों, स्टार्टअप्स, कौशल विकास योजनाओं और प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है।
गांवों से शहरों की ओर पलायन रुकेगा
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जब गांव में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था होगी, तो वहां से शहरों की ओर पलायन रुक जाएगा, और इससे शहरी दबाव भी कम होगा।
प्रधानमंत्री का विज़न
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे अभियानों का ज़िक्र करते हुए कहा, “गांवों को स्मार्ट बनाने से हम भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के और करीब पहुँचेंगे।”
मुख्य बिंदु:
- स्मार्ट गांवों के बिना भारत का समग्र विकास संभव नहीं
- डिजिटल और मूलभूत सुविधाओं की गांवों तक पहुँच
- महिला व युवा सशक्तिकरण पर ज़ोर
- गांवों में रोजगार और शिक्षा से होगा पलायन कम
