देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को राज्य में बढ़ते जल संकट से निपटने के लिए “जल स्रोत रिचार्ज योजना” का शुभारंभ किया। इस योजना का उद्देश्य प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण करना और आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत् जल उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
🌊 योजना की मुख्य विशेषताएं
- झरनों और नदियों का पुनर्जीवन: इस योजना के तहत झरने, नाले और नदियों जैसे परंपरागत जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाएगा, जो जलवायु परिवर्तन और अनियोजित शहरीकरण के कारण तेजी से सूख रहे हैं।
- वर्षा जल संचयन: गांवों और शहरों में वैज्ञानिक तरीके से वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि भूजल स्तर को पुनः भरा जा सके।
- जन भागीदारी: जल संरक्षण गतिविधियों में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, जिससे यह योजना जन आंदोलन का रूप ले सके।
- पर्यावरण संतुलन: जल संरक्षण के साथ-साथ जलग्रहण क्षेत्रों में वनीकरण अभियान भी चलाए जाएंगे।
🗣️ मुख्यमंत्री धामी का वक्तव्य
शुभारंभ के अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा:
“जल ही जीवन है और उत्तराखंड, जहां से नदियों का उद्गम होता है, वहां हर बूंद को बचाना हमारा कर्तव्य है। इस योजना के माध्यम से हम न केवल आज के जल संकट का समाधान करेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी सुरक्षित करेंगे। जनता की भागीदारी से हम उत्तराखंड को जल संरक्षण का आदर्श राज्य बना सकते हैं।”
🌍 क्यों है यह योजना महत्वपूर्ण?
“देवभूमि” कहलाने वाले उत्तराखंड में हाल के वर्षों में गंभीर जल संकट देखने को मिला है। कई गांवों में लोगों को रोजाना पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जल स्रोत रिचार्ज योजना जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगी और ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों को लाभ पहुंचाएगी।
📌 निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार की यह पहल जल संकट से निपटने की दिशा में एक सकारात्मक और दूरदर्शी कदम है। पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक को मिलाकर यह योजना राज्य के पारिस्थितिक संतुलन को मजबूत करेगी और जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाएगी।
