जुलाई 2025 | नई दिल्ली – मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में अब सरकार ने एक बड़ा बदलाव करते हुए बायोमेट्रिक सत्यापन (Biometric Verification) को अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले का उद्देश्य योजना में धांधली, फर्जीवाड़े और दोहराव को रोकना है ताकि यह योजना सच में पात्र और जरूरतमंद जोड़ों तक पहुंचे।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना क्या है?
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली एक कल्याणकारी योजना है, जिसके अंतर्गत गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के जोड़ों की शादी सामूहिक रूप से करवाई जाती है। शादी में भाग लेने वाले जोड़ों को सरकार द्वारा वित्तीय सहायता, उपहार और विवाह सामग्री दी जाती है।
अब क्यों जरूरी हुआ बायोमेट्रिक सत्यापन?
हाल ही में कई जिलों से शिकायतें मिली थीं कि कुछ लोग इस योजना का दुरुपयोग कर रहे हैं—जैसे एक ही व्यक्ति ने अलग-अलग नाम से कई बार योजना का लाभ उठाया, या फिर नकली दस्तावेजों के जरिए अपात्र लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया।
इन्हीं खामियों को दूर करने के लिए सरकार ने अब शादी से पहले और सहायता मिलने से पहले आधार आधारित बायोमेट्रिक पहचान को अनिवार्य कर दिया है।
सत्यापन की प्रक्रिया क्या होगी?
- ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद जोड़ों को सत्यापन केंद्र (Verification Center) पर बुलाया जाएगा।
- दोनों पक्षों (दूल्हा-दुल्हन) का आधार कार्ड आधारित फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन लिया जाएगा।
- यदि बायोमेट्रिक मिलान सफल होता है, तभी उनकी पात्रता को अंतिम रूप दिया जाएगा।
- शादी के बाद सहायता राशि का भुगतान भी उसी आधार से लिंक्ड बैंक खाते में होगा।
लाभार्थियों के लिए ज़रूरी दस्तावेज़:
- आधार कार्ड (दूल्हा और दुल्हन दोनों का)
- आय प्रमाण पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
- शादी के आमंत्रण पत्र (यदि है)
- पासपोर्ट साइज फोटो
- बैंक पासबुक की कॉपी
- विवाह रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र (शादी के बाद)
बिना बायोमेट्रिक सत्यापन क्या होगा?
जो जोड़े सत्यापन नहीं करवा पाएंगे, उन्हें योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि लाभ सिर्फ वास्तविक और योग्य उम्मीदवारों तक ही सीमित रहे।
सरकारी अधिकारियों का बयान:
राज्य समाज कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:
“हम इस योजना को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना चाहते हैं। बायोमेट्रिक सत्यापन से हर फर्जीवाड़ा रोका जा सकेगा और जरूरतमंद परिवारों तक सरकारी सहायता सही तरीके से पहुंचेगी।”
निष्कर्ष:
बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य करना सरकार का एक सकारात्मक और पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम है। इससे न केवल भ्रष्टाचार रुकेगा, बल्कि उन गरीब परिवारों को मदद मिलेगी जो वाकई इसकी पात्रता रखते हैं।
“शादी एक सामाजिक जिम्मेदारी है – और सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस सहयोग को सही हाथों तक पहुंचाए।”
